जानिए क्या है पूजा करने के नियम

पूजा करने के नियम

अपने परिवार में सुख और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी-देवताओ की पूजा ( pooja ) करने की परम्परा अनेको वर्षो से निरंतर चली आ रही है तथा आज भी हम इस परम्परा को निभाते आ रहे है. भगवान की पूजा ( pooja ) द्वारा हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. परन्तु हम सभी को पूजा ( pooja ) करने से पूर्व कुछ ख़ास नियमों का पालन करना चाहिए तभी हमे पूजा ( pooja ) का शुभ फल पूर्ण रूप से प्राप्त हो पायेगा.



लगभग सभी हिन्दू घरो में मंदिर बनाये जाते है वह से उनके दिन का आरम्भ होता है अधिकतर लोग अपनी सहूलियत के अनुसार पूजा ( pooja ) पाठ करते है जो कि सरासर गलत है पूजन संबंधी कुछ नियम होते है जिनका पालन हर घर को करना चाहिए तभी इसका फल मिलता है अक्सर लोग पूजा तो कर लेते है लेकिन इन नियमो से अपरिचित रहते है जिसका फल उन्हें नहीं मिलता आज हम आपको बताएंगे कि यदि घर में पूजा करते है तो उसके क्या नियम होने चाहिए|

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  • वास्तु के नियमो के अनुसार, मकान के पूर्व उत्तर के पूजा का अस्थान सबसे सर्वोत्तम माना गया है इस स्थान पर पूजा स्थल होने से घर में रहने वाले को शांति, धन, सम्पति, प्रसन्नता और स्वास्थ्य का लाभ मिलता है 
  • घर में देवी देवताओ की फोटो और मूर्तियाँ इस प्रकार स्थापित करनी चाहिए की पूजा करते समय हमारा मुँह उत्तर या पूर्व दिशा की और हो ।
  • घर के मंदिर में मूर्तियां छोटी और कम वजन वाली हो, अगर कोई मूर्ति खंडित हो गयी है या क्षतिग्रत हो गई है तो उसे तुरंत पूजा सथल से हटा कर कही बहते जल में प्रवाहित कर दीजिए।
  • यह भी ध्यान देना चाहिए की भगवान का चेहरा कभी भी ढका नहीं होना चाहिए यहाँ तक की फूल माला से भी चेहरा नहीं ढका होना चाहिए।
  • जिस घर के लोग मंदिर को गंदा अँधेरे से युक्त या घर के बेकार सामान का अड्डा बनाकर रखते है ऐसे घर में शत्रु अपना सिर उठाये रखते है और आर्थिक परेशानियाँ, रोग और शोक स्थायी बसेरा बनाकर वहाँ रहती है।
  • रसोई घर में मंदिर बनाने से घर के लोगो को असफलता का मुँह देखना पड़ता है परिवार के किसी सदस्य को बीमारी अपने चपेट में लिए रखती है इसलिए रसोई घर में कभी भी मंदिर नहीं बनाना चाहिए  । 
  • घर के मंदिर में प्रतिदिन सुबह और शाम पूजन के समय घंटी अवश्य बजाये, घंटी की ध्वनि से नकारात्मकता का नाश होता है और सकारात्मकता में बढ़ोतरी होती है।
  • मंगल, शुक्र, रवि, अमावस्या, पूर्णिमा, द्वादशी, रात और सूर्य ढलने के बाद तुलसी पती को न तोड़े। तुलसी की पती और गंगाजल कभी बासी नहीं होते इसके अतिरिक्त कोई भी बासी सामग्री का प्रयोग मंदिर में न करे।
  • मंदिर में चमड़े से बनी वस्तुएँ जैसे की जूते, चप्पल, बेल्ट आदि लेकर न जाये। 
  • रात को सोने से पहले मंदिर के आगे पर्दा ज़रूर करें ताकि भागवान के विश्राम में कोई बाधा न हो।

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